स्वास्थ्य

योग का आमूल विज्ञान एक बेहतरीन जीवनशैली है जिसे इस प्रकार तैयार किया गया है कि उसके द्वारा तनाव से उत्‍पन्‍न विकारों और जीवनशैली से उत्‍पन्‍न होने वाले मधुमेह जैसे विकारों को प्रभावशाली तरीके से दुरुस्‍त किया जा सकता है। आधुनिक अनुसंधानों से पता लगा है कि योग द्वारा मनोवैज्ञानिक और शारीरिक लाभ प्राप्‍त होते है। योग केवल शारीरिक कसरत नहीं है (इन्‍स और विन्‍सेंट, 2007)। (Read in English: Managing Type 2 Diabetes Through Yoga...)

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विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के विश्‍व मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य सर्वे 2011 पर आधारित एक अध्‍ययन के अनुसार विश्‍व स्‍तर पर भारत में डिप्रेशन यानी अवसाद की दर सबसे ज्‍यादा है। अधिक चिंताजनक स्थिति यह है कि सभी आयु के लोग, किशोर से लेकर प्रौढ़ तक, अवसाद से ग्रस्‍त हो रहे हैं। यह सभी आर्थिक पृष्‍ठभूमि वाले लोगों को प्रभावित कर रहा है। चाहे एक अभावग्रस्‍त व्‍यक्ति जो एक शाम के भोजन के लिए जद्दोजहद कर रहा है या एक अमीर व्‍यक्ति जो विला‍सितापूर्ण जीवन व्‍यतीत कर रहा है। इससे भी चिंताजनक बात यह है कि अवसाद ग्रस्‍त व्‍यक्ति भावनात्‍मक रूप से कमजोर मानसिक स्थिति में अपना जीवन ही समाप्‍त करने का निर्णय ले लेता है। भारत में किशोरों और युवाओं में आत्‍महत्‍या की बढ़ती प्रवृति ने यह इस बात को रेखांकित किया है कि इस बीमारी पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाना चाहिए। (Read in English: Tackling Depression With Yoga…)

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आगरा : अक्सर मटर के दाने के आकार की रसौली देखने को मिलती है लेकिन डॉ. कमलेश टंडन नर्सिंग होम में किए गए ऑपरेशन से नौ महीने के ​गर्भस्थ शिशु के आकार की रसौली निकाली गई। सबसे बड़ी रसौली का वजन 2.8 किलोग्राम था। इसके साथ छोटे-छोटे आकार की पांच और रसौली निकाली गईं।

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तम्बाकू सेवन – दुनियाभर में विकास के लाभों को क्षीण करने में प्रमुख बाधा है। यह समय से पहले की विकृति और मृत्यु दर का सबसे बड़ा कारण है। तम्बाकू के उत्पादों में लगभग 5000 से 7000 विषाक्त पदार्थ होते हैं। इनमें से सबसे खतरनाक निकोटीन, कार्बन मोनोऑक्साइड और टार है। (Read in English: Tobacco Usage – The Biggest Culprit Undermining All Development Efforts)

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अपनी लाड़ली नन्ही सी बच्ची को गोद में उठाए सुनीता सांदरा अत्यन्त प्रसन्न नजर आ रही थी। केवल दो दिन पहले ही बीजापुर जिला अस्पताल में इस बालिका का जन्म हुआ था। इससे पहले दो बार सुनीता का गर्भ गिर चुका था। क्योंकि, गर्भावस्था में जटिलता के कारण उसे बीजापुर से 170 किलोमीटर दूर जगदलपुर अस्पताल में भेजा गया था लेकिन तब चिकित्सीय कुशलता और उपकरणों की कमी के कारण ऐसे मामलों में इलाज की सुविधाएं नहीं थी। इसके परिणामस्वरूप कई बार अजन्मे शिशु या माता की मृत्यु हो जाती थी। 2015 तक जिला अस्पताल में बहुत ही कम कर्मचारी कार्य करते थे जिनमें तीन से चार डॉक्टर, 12 नर्सें और प्रमुख सर्जरी करने के लिए ऑपरेशन थिएटर में भी पर्याप्त उपकरण नहीं थे। (Read in English)

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आगरा : खांसने पर यूरिन लीक होता है या उम्र बढ़ने के बाद वैवाहिक संबंधों में दरार आ रही है तो अब महिलाओं की इन समस्याओं का इलाज सर्जरी (चीर-फाड़ के बिना) के बिना हो सकेगा। 

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