अश्लील गालियों से सामना भारत के हर क्षेत्र में करना पड़ता है। हर भाषा में वही, महिला के जननांगों को केंद्रित करते हुए भद्दे, अश्लील जुमले! अपने बृज क्षेत्र में शादियों में ‘गारी’ गाने के रिवाज ने इसे मान्यता का प्रमाण पत्र दे दिया है।
Read Moreअश्लील गालियों से सामना भारत के हर क्षेत्र में करना पड़ता है। हर भाषा में वही, महिला के जननांगों को केंद्रित करते हुए भद्दे, अश्लील जुमले! अपने बृज क्षेत्र में शादियों में ‘गारी’ गाने के रिवाज ने इसे मान्यता का प्रमाण पत्र दे दिया है।
Read Moreक्या आपने कभी सोचा है कि हम कब से चीज़ों को सुधारने के बजाय फेंकना ज़्यादा पसंद करने लगे हैं? एक ज़माना था जब एक टूटी कुर्सी को ठीक किया जाता था, फटे कपड़ों को सिला जाता था और रिश्तों की डोर को गांठ लगाकर मज़बूत किया जाता था। लेकिन, आज की भागदौड़ भरी आधुनिक ज़िंदगी में 'यूज़ एंड थ्रो', यानी इस्तेमाल करो और फेंको, की मानसिकता सिर्फ़ बाज़ार के सामान तक सीमित नहीं रही, बल्कि ये हमारे पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों में भी गहरी पैठ बना चुकी है।
Read Moreउम्रदराज होना, बाल सफेद होना, कोई अभिशाप नहीं बल्कि तजुर्बे से मिला एक विशेषाधिकार है। आजकल युवा वर्ग बुजुर्गों को गरिया रहा है, बेघर कर रहा है, अमानवीय व्यवहार कर रहा है, यह भूलकर कि जो पैदा हुआ है वह स्वर्गवासी होने से पहले इस दयनीय अवस्था से जरूर गुजरेगा।
Read Moreसंयुक्त परिवारों के बुजुर्ग आजकल लड़कों की शादी करने से घबराने लगे हैं। उन्हें बहुओं का खौफ सता रहा है। उधर, नौकरी कर रहे युवा अकेले रहना पसंद करने लगे हैं, शादियों के बंधन से मुक्त ‘लिव-इन रिलेशन’ में, अंजाम जो भी हो। सात जन्मों का बंधन सात साल चल जाए तो शादी सफल मानी जा रही है।
Read Moreअंदाज लगाइए दस हजार वर्ष पूर्व गुफा से बाहर निकले आदि मानव ने सर्व प्रथम किस इंसानी जिस्म के अंग को ढका होगा और क्यों?
Read Moreभारतीय ज्ञान, परंपरा, सभ्यता और संस्कार के कारण ही पूरी दुनिया में भारत की एक अलग पहचान बनी हुई है। यह देश हमेशा ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के आदर्श का अनुयायी रहा है और यहां पग-पग पर धर्मसम्मत आदर्शो की चर्चा की जाती रही है,,,
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