विविधा और व्यंग्य

नाम बदलने के मौजूदा चलन में, रॉयल कुरूपतिस्तान सरकार ने ‘रॉटनपुर विश्वविद्यालय’ का नाम बदलकर ‘अज्ञानपुर विश्वविद्यालय’ कर दिया है...

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कहीं झाड़ी में, कहीं कूड़ेदान में, कहीं अनाथालय के बाहर लटकी डलियों में, अब बच्चों के चीखने रोने की आवाज कम सुनाई दे रही है। पुरानी फिल्मों में अवैध संतानों के संघर्ष की कहानियां अब रोमांचित नहीं करतीं...

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भारत की पहली स्वदेशी सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ आज कल चर्चा का विषय बनी हुई है। यह ट्रेन अब आधुनिक, कुशल और आरामदायक रेल यात्रा के लिए भारत की आकांक्षाओं का प्रतीक बन गई है...

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क्या आप कभी नई दिल्ली, लखनऊ या इंदौर में किसी कॉफी हाउस में गए हैं? यह दृश्य जाना-पहचाना है, मीडियाकर्मियों, कलाकारों, एक्टिविस्टों के समूह, सभी कभी न खत्म होने वाली चर्चाओं में उलझे दिखते हैं, कभी गर्म तो कभी ठंडी बहस...

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पूरी दुनिया में एक ही ऐसा परिधान है जिसे अमीर-गरीब, बूढ़े-बच्चे, नर-नारी और शहरी व ग्रामीण, सभी पहनकर अपनी आजादी या आत्मविश्वास का एहसास कराते हैं। जी! हम बात कर रहे हैं जींस की, जो पैंट, पतलून या पायजामा तो है ही, लेकिन साथ ही एक फैशन स्टेटमेंट भी है। लोकप्रियता तो इतनी कि कुछ साल पहले वृंदावन के एक प्रतिष्ठित मंदिर में बवाल कटा था, जब किसी पुजारी ने ठाकुरजी को भी जींस पहना दी थी, विद हैट एंड गॉगल्स।

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पितृ पक्ष पखवाड़ा शुरू होते ही, हिंदू समुदाय को एक गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। प्रशिक्षित पंडितों की भारी कमी नजर आ रही है...

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