धर्म, कला और संस्कृति

दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागमों में से एक महाकुंभ मेला न केवल नदियों का संगम है, बल्कि संस्कृतियों, परंपराओं और कलात्मक अभिव्यक्तियों का भी संगम है।

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प्रयागराज की सर्द सुबह में तीर्थयात्रियों के मधुर जयकारों ने पूरे वातावरण को गुंजायमान कर दिया है। यह गूंज महाकुंभ नगर के केंद्रीय अस्पताल में होने वाली गतिविधियों की मधुर ध्वनि के साथ सहजता से घुल-मिल गई।

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कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है। इसमें लाखों तीर्थयात्री पवित्र नदियों में स्नान के लिए आते हैं। यह स्नान आध्यात्मिक शुद्धि और नवीनीकरण का प्रतीक है। यह हर 12 साल में चार बार क्रमिक रूप से गंगा पर हरिद्वार में, शिप्रा पर उज्जैन में, गोदावरी पर नासिक और प्रयागराज, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है, होता है। अर्द्ध कुंभ मेला हर छह साल में हरिद्वार और प्रयागराज में होता है, जबकि महाकुंभ मेला, एक दुर्लभ और भव्य आयोजन है, जो हर 144 साल में होता है...

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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर चंदखुरी स्थान पर भगवान श्रीराम की मां कौशल्या का प्रसिद्ध मंदिर है। मां कौशल्या का यह मंदिर पूरे भारत में एकमात्र और दुर्लभ तो है ही, साथ ही, यह छत्तीसगढ़ राज्य की गौरवपूर्ण अस्मिता भी है...

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मौली या कलावा बांधना वैदिक परंपरा का हिस्सा है। यज्ञ के दौरान कलावा बांधे जाने की परंपरा तो पहले से ही रही है, लेकिन इसको संकल्प सूत्र के साथ ही रक्षा-सूत्र के रूप में तब से बांधा जाने लगा, जबसे असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधा था...

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उत्तर प्रदेश में राज्य महिला आयोग द्वारा हाल ही में पुरुषों द्वारा पारंपरिक रूप से वर्चस्व वाली भूमिकाओं में महिलाओं को नियुक्त करने की पहल महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है...

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