राजनीति शास्त्र की किताबें कहती हैं कि लोकतंत्र की बुनियाद ‘कानून के सामने बराबरी’ के सिद्धांत पर टिकी हुई है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 भी यही कहता है, लेकिन हक़ीक़त में यह सिद्धांत उन्हीं के पैरों तले कुचला जा रहा है, जो इंसाफ़ और हुकूमत के ‘रखवाले’ होने का ढोंग करते हैं। और ये हैं... जज, राज्यपाल, नेता व नौकरशाह। ये लोग कानून को अपने हिसाब से अपने पक्ष में घुमा लेते हैं क्योंकि इनको विशेषाधिकार प्राप्त हैं। जानकार बताते हैं कि विशेष दर्जा प्राप्त इन महान विभूतियों की एक लंबी लिस्ट भारत के हर हाइवे के टोल बूथ पर लगी होती है।
Read More