विविधा और व्यंग्य

क्या आप कभी नई दिल्ली, लखनऊ या इंदौर में किसी कॉफी हाउस में गए हैं? यह दृश्य जाना-पहचाना है, मीडियाकर्मियों, कलाकारों, एक्टिविस्टों के समूह, सभी कभी न खत्म होने वाली चर्चाओं में उलझे दिखते हैं, कभी गर्म तो कभी ठंडी बहस...

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पूरी दुनिया में एक ही ऐसा परिधान है जिसे अमीर-गरीब, बूढ़े-बच्चे, नर-नारी और शहरी व ग्रामीण, सभी पहनकर अपनी आजादी या आत्मविश्वास का एहसास कराते हैं। जी! हम बात कर रहे हैं जींस की, जो पैंट, पतलून या पायजामा तो है ही, लेकिन साथ ही एक फैशन स्टेटमेंट भी है। लोकप्रियता तो इतनी कि कुछ साल पहले वृंदावन के एक प्रतिष्ठित मंदिर में बवाल कटा था, जब किसी पुजारी ने ठाकुरजी को भी जींस पहना दी थी, विद हैट एंड गॉगल्स।

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पितृ पक्ष पखवाड़ा शुरू होते ही, हिंदू समुदाय को एक गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। प्रशिक्षित पंडितों की भारी कमी नजर आ रही है...

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राजनीतिक बहसों में आजकल महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू को 1947 के विभाजन के लिए कटघरे में खड़ा करके दोषी ठहराया जाता है। समाजवादी चिंतक और नेता डॉ राम मनोहर लोहिया ने भी अपनी किताब ‘गिल्टी मैन ऑफ इंडियाज पार्टीशन’ में कांग्रेसियों को ही अपना निशाना बनाया है...

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‘चराईदेव मोईदाम’, असम में शासन करने वाले अहोम राजवंश के सदस्यों के नश्वर अवशेषों को दफनाने की प्रक्रिया थी। अब यह यूनेस्को द्वारा सूचीबद्ध भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल है...

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उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के जो भी चुनावी परिणाम आए हैं, वे जनता द्वारा लिया गया अंतिम फैसला है। जनता के निर्णय की सदैव प्रशंसा ही की जानी चाहिए। लेकिन, अयोध्या और वाराणसी के परिणामों पर जरूर चिंतन किए जाने की आवश्यकता है...

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