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ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण तेजी से उभरते पारिस्थितिक संकट के संदर्भ में बुनियादी मानव अधिकार के रूप में स्वच्छ हवा व पानी के अधिकार को शामिल करना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। पुलिस को मानवीय बनाना और पर्याप्त सुधार लागू करना भी इस बुरे वक्त की मांग है। हर इंसान को स्वच्छ हवा व पेयजल तथा पूर्ण सुरक्षा मिले, ये प्रावधान मानव अधिकारों की सूची में प्राथमिकता के आधार पर जोड़े जाएं।

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ज्यादातर भारतीय शहरों का विकास निर्वाचित निगम के पार्षदों से छीनकर चंद नौकरशाहों द्वारा कब्जाए विकास प्राधिकरणों को सौंपने की भूल का परिणाम आज सर्वत्र दिखने लगा है...

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भारत अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन एशिया-प्रशांत के विकास और सफलता में एक केंद्रीय भूमिका में रहा है। साल 1960 में नई दिल्ली में आईसीए के क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना से लेकर वैश्विक सहकारी आंदोलन में इसके निरंतर प्रभाव तक, भारत न केवल एक प्रमुख सदस्य रहा है, बल्कि सहकारी मॉडल को आकार देने में एक प्रेरक शक्ति भी रहा है, जिसका एशिया-प्रशांत क्षेत्र में गहरा प्रभाव पड़ा है।

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भारत के प्रतिष्ठित धार्मिक केंद्रों पर बाल भिखारियों की संख्या में तेज गति से वृद्धि हो रही है। राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा लागू की गई 150 से अधिक कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद, भिखारियों की संख्या में यह वृद्धि चिंताजनक है...

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साल 2018 में अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल रोमर ने भारत की आधार प्रणाली की प्रशंसा की है। उन्होंने इसे वैश्विक स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण तकनीकी नवाचारों में से एक बताया। उन्होंने विस्तार से बताया है कि कैसे आधार ने प्रत्यक्ष हस्तांतरण जैसे सरकारी लाभ प्रदान करने के लिए एक मजबूत नींव रखी और देशभर में लाखों लोगों के लिए सार्वजनिक सेवाओं को अधिक सुलभ बनाया।

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क्या देशभर में बलात्कारों की मौजूदा लहर सिर्फ़ कानून और व्यवस्था की समस्या है या यह समाज में व्याप्त किसी गहरी अस्वस्थता का लक्षण है? आजकल यह सवाल सामाजिक समूहों में गरमागरम बहस का विषय बना हुआ है...

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