संपादकीय

दिल्ली की बागडोर अब आतिशी के हाथों में हैं और उन्होंने खुद को केजरीवाल का ‘भरत’ घोषित कर उनकी खड़ाऊं सत्ता के सिंहासन पर रख दी हैं। अब आगामी चुनावों में उनका मुकाबला पहले की तरह प्रदेश में नेतृत्वविहीन भाजपा से होना है...

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भारत सरकार द्वारा ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ के लिए जोर देने से उन महत्वपूर्ण मुद्दों की अनदेखी हो रही है, जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। एकल चुनाव प्रारूप को अपनाने से पहले, समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए व्यापक चुनावी सुधार आवश्यक हैं। 

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केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पहल को लागत कम करने और चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के समाधान के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।

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पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिंगापुर यात्रा काफी चार्चाओं में रही। दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच सरकारों और कंपनियों के बीच व्यापार बढ़ाने को लेकर कई समझौते हुए हैं। साथ ही, भारत को सिंगापुर सदृश बनाने के सपने की खबरें भी आईं...

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के 11वें स्वतंत्रता दिवस के सम्बोधन में भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार को समूल नष्ट करने का संकल्प लिया गया...

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लगभग सभी राजनैतिक दलों ने अपनी सहूलियत के हिसाब से बड़े राज्यों का पुनर्गठन या छोटे राज्यों में विभाजन की मांग का समर्थन किया है। उत्तर प्रदेश को तीन भागों में बांटने की मांग चौधरी अजीत सिंह के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी उठाई है। तजुर्बा बताता है कि छोटी प्रशासनिक इकाइयां आर्थिक और राजनैतिक दृष्टिकोण से सही रहते हैं...

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