धर्म, कला और संस्कृति

आमतौर पर शनि को लेकर हमारे मन में कई धारणाएं हैं। इसे बहुत कष्ट देने वाला ग्रह माना जाता है। लेकिन, वास्तविकता में ऐसा नहीं है। यदि शनि की आराधना ध्यानपूर्वक की जाए तो उनसे उत्तम कोई आराध्य नहीं है। माना जाता है कि शनि की जिस पर कृपा होती है, उस व्यक्ति के लिए सफलता के सारे द्वार खुल जाते हैं।

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अंबाजी माता का मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। इसके पीछे प्रचलित कहानी के अनुसार, जब देवी सती ने अग्निकुंड में कूदकर अपनी जान दे दी तो उनकी मृत्यु से निराश होकर शिव अपने रौद्र रूप के साथ उनके जलते शरीर को गोद में लेकर निकल पड़े। यह देख भगवान विष्णु ने अपना दिव्य चक्र छोड़ दिया जिससे माता सती के शरीर के टुकड़े अलग-अलग दिशाओं में जाकर गिर पड़े। कहा जाता है कि उनका हृदय इसी स्थान पर गिरा था।

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मथुरा से दिल्ली जाते समय राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर छटीकरा के निकट श्री गरुड़ गोविन्द भगवान श्रीकृष्ण की विहार स्थली है। यह छटीकरा स्थित वृंदावन के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है।

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वृंदावन में एक ऐसा मंदिर है, जहां ठाकुरजी की रसोई तैयार करने के लिए पिछले 477 वर्ष से एक भट्टी लगातार जल रही है। कार्य पूरा होने पर रात को इसमें लकड़ियां डालकर ऊपर से राख ओढ़ा दी जाती है, जिससे अग्नि पूरी तरह से शांत न हो। अगले दिन पुन: उसमें उपले व लकड़ियां डालकर भट्टी की अग्नि के प्रज्ज्वलन को जारी रखा जाता है। हम बात कर रहे हैं यहां के प्रसिद्ध मंदिर श्री राधारमण मंदिर की। यह मंदिर श्री गौड़ीय समाज के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।

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हमारे देश के हर राज्य में अनेक ऐसे प्राचीन मंदिर हैं, जिनका इतिहास भी काफी रोचक रहा है। राजस्थान के उदयपुर से 23 किमी दूर नागदा गांव में सास-बहू मंदिर के निर्माण की भी एक ऐसी ही रोचक कहानी है।

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मध्य प्रदेश के मुरैना में मौजूद चौसठ योगिनी मंदिर अपनेआप में अनूठा है। यह मंदिर चौसठ योगिनियों की पूजा के लिए समर्पित है, जिन्हें हिंदू धर्म में शक्तिशाली देवी माना जाता है। मंदिर की वास्तुकला, इतिहास और महत्व चौसठ योगिनी मंदिर को भारत के सबसे महत्वपूर्ण और आकर्षक मंदिरों में से एक बनाते हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इसे प्राचीन ऐतिहसिक स्मारक घोषित किया हुआ है...

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