धर्म, कला और संस्कृति

बस्तर आर्ट के नाम से मशहूर छत्तीसगढ़ का लौह शिल्प देश और दुनिया में न सिर्फ अपनी एक पहचान बना रहा है बल्कि लोगों के रोजगार का जरिया भी बन रहा है।

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मथुरा में भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर सभी वर्ग और धर्मों के लोग तैयारियों में जुटे हुए हैं। एक तरफ जहां हिंदू समुदाय जन्मोत्सव को दिव्य और भव्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है तो वहीं मुस्लिम समुदाय भी यहां अपना पूरा पारंपरिक योगदान दे रहा है...

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राजस्थान में उदयपुर जिले के कैलाशपुरी तीर्थ में भगवान शिव ‘एकलिंग’ के नाम से विराजित हैं। ‘श्री एकलिंग’ भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। यहां स्थित शिवलिंग के चारों ओर मुख बने हुए हैं। मंदिर परिसर में 108 देवी-देवताओ के अन्य छोटे-छोटे मंदिर भी मौजूद हैं।

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हिन्दू धर्म के अनुसार प्रत्येक जीव पंचमहाभूतों से मिलकर बना है। इन पंचमहाभूतों में जल, अग्नि, वायु, आकाश व पृथ्वी सम्मिलित है। अधिक मास में समस्त धार्मिक कृत्यों, चिंतन मनन, ध्यान व योग आदि के माध्यम से साधक अपने शरीर में समाहित इन पांचों तत्वों में संतुलन स्थापित करने का प्रयास करता है...

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चातुर्मास के दौरान दुनियाभर के श्रद्धालु ब्रज में चौरासी कोस की परिक्रमा करते हैं। चातुर्मास जुलाई से लेकर नवंबर तक रहता है। इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं होते हैं, लेकिन धार्मिक आयोजनों की धूम जमकर होती है। सावन, भादों, क्वार व कार्तिक माह के दौरान मथुरा-वृंदावन इलाके में आस्था की अविरल धारा बहती नजर आती है। मंदिरों में सोने-चांदी के हिंडोले सजाए जाते हैं। माना जाता है कि चौरासी कोस की परिक्रमा से सभी तीर्थों का पुण्य मिलता है।

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मुख्य मथुरा शहर के कोलाहल से दूर, शांत वातावरण में सघन वनों के बीच आशेश्वर महादेव का प्राचीन शिव मंदिर है। निकटवर्ती नंदगांव स्थित यह मंदिर ब्रज के प्रसिद्ध पंच महादेव मंदिरों में से एक है। सावन के तीसरे सोमवार को दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु यहां बड़ी आस्था के साथ महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं...

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