लोकनायक श्रीकृष्ण ने जब बृज में अवतार लेकर इस स्थान को अपनी मधुर लीलाओं का केन्द्र बनाया तो यहां की नैसर्गिक सुषमा अनंतगुनी हो गई। प्रेमी रसिक भक्तों की कौन कहे स्वयं महालक्ष्मी भी यहां नित्य निवास करने लगीं। जब समस्त कला गुरुओं के गुरू यहां आ गए तो कलाएं उनसे पृथक कैसे रह सकती थीं। कृष्ण का पूरा जीवन विभिन्न रूपों में गायन, वादन एवं नृत्य कला के साथ जुड़ा हुआ है...
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