धर्म, कला और संस्कृति

लोकनायक श्रीकृष्ण ने जब बृज में अवतार लेकर इस स्थान को अपनी मधुर लीलाओं का केन्द्र बनाया तो यहां की नैसर्गिक सुषमा अनंतगुनी हो गई। प्रेमी रसिक भक्तों की कौन कहे स्वयं महालक्ष्मी भी यहां नित्य निवास करने लगीं। जब समस्त कला गुरुओं के गुरू यहां आ गए तो कलाएं उनसे पृथक कैसे रह सकती थीं। कृष्ण का पूरा जीवन विभिन्न रूपों में गायन, वादन एवं नृत्य कला के साथ जुड़ा हुआ है...

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देशभर में मूर्तिकला पर भगवान श्रीकृष्ण का एक बड़ा असर रहा है। इनमें बंगाल की मिट्टी से बनी मूर्तियों से भला कौन परिचित नहीं होगा। राधाकृष्ण, बालगोपाल और चैतन्य महाप्रभु की मूर्तियां पूरे भारत को यहां के कलाकार भेजते हैं...

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राम चरित्र का वर्णन करने वाले सबसे प्राचीन आचार्य भगवान शिव माने जाते हैं। उन्होंने राम-चरित्र का वर्णन करोड़ों श्लोकों में किया है...

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भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन काल में कई इमारतों और सभागारों का निर्माण कराया था। उनके इन निर्माण कार्यों से उनके एक कुशल वास्तुविद होने का प्रमाण मिलता है।

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भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार कहा गया है कि पौराणिक कुरुक्षेत्र युद्ध यानी महाभारत के युद्ध में गांधारी के सभी सौ पुत्रों की मृत्यु हो गई थी।

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श्रीमद् भागवत के वर्णन अनुसार द्वापरयुग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज करते थे। उनका एक आतातायी पुत्र कंस था और उसकी एक बहन देवकी थी। देवकी का विवाह वसुदेव के साथ हुआ...

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